लावारिसों की अस्थियों को मिली गंगा की गोद गंगा में अस्थि प्रवाह के बाद ही मिलता है मोक्ष-विशाल शास्त्री

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दिनेश वर्मा

हरिद्वार, 15 अक्टूबर। प्रकाश पंुज सेवा समिति के तत्वावधान में शुक्रवार को अमावस्या के अवसर पर वैदिक विधि विधान व मंत्रोच्चार के साथ कनखल स्थित सती घाट पर दिल्ली के विभिन्न शमशान घाट से लाए गए तीन हजार अस्थि कलशों का विसर्जन किया गया। अस्थि विसर्जन के बाद समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने मृतकों की आत्मशांति के लिए मां गंगा से प्रार्थना की। अध्यक्ष पंडित विशाल शास्त्री ने बताया कि समिति पिछले 10 सालों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार व अस्थि विसर्जन कर रही है।

उन्होंने बताया कि दिल्ली में तीन सौ शमशान हैं। समिति के पदाधिकारी व सदस्य सभी शमशान से लावारिस मृतकों की अस्थियां एकत्र करते हैं। जिन्हें प्रत्येक अमावस्या को हरिद्वार लाकर गंगा में विसर्जित किया जाता है। इसके अलावा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार भी कराया जाता है। पिछले 10 सालों से चल रहे इस सेवा कार्य के तहत समिति द्वारा अब तक लाखों लावारिस व्यक्तियों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जा चुकी हैं। पंडित विशाल शास्त्री ने कहा कि वैदिक सनातन धर्म में जीवन के प्रत्येक चरण के लिए संस्कार तय किए गए हैं। अंतिम संस्कार भी उनमें से एक है।

हिन्दु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के पश्चात विधि विधान के साथ शव का अंतिम संस्कार व गंगा में अस्थि प्रवाह नहीं किया जाए तो मृतक को मोक्ष नहीं मिलता है। संरक्षक महामण्डलेश्वर सोमेश्वरानन्द गिरी महाराज व स्वामी अखण्डानन्द महाराज की प्रेरणा से समिति ने लावारिस शवों का अंतिम संस्कार व अस्थि विसर्जन का बीड़ा उठाया। इस पुनीत कार्य में समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों के अलावा आम लोगों का सहयोग भी मिलता है।

आशीष बालियान ने कहा कि दिल्ली में कहीं भी मिलने वाले अज्ञात शवो के अलावा ऐसे लोग जिनका कोई वारिस नहीं है, उनकी मृत्यु होने की सूचना मिलने पर समिति अपने खर्च पर अंतिम संस्कार कराती है और अस्थियों को हरिद्वार लाकर मां गंगा की गोद में विसर्जित किया जाता है। उन्होंने कहा कि समिति के अध्यक्ष पंडित विशाल शास्त्री के नेतृत्व में चल रहे इस कार्य को निरंतर जारी रखा जाएगा। इस दौरान पंडित विनोद शर्मा, पंडित भरत शर्मा, राजेंद्र प्रसाद बंसल, शशी चौहान, दीपक, अजय शर्मा, राजकुमार आदि सहित कई लोग मौजूद रहे।

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