महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं–मुकेश कौशिक

Haridwar News
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अमरीश़
हरिद्वार, 4 अप्रैल। हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2079 के अवसर पर महामना सेवा संस्थान की और से प्रैस क्लब सभागार में गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। गोष्ठी में वक्ताओं ने महामना मदन मोहन मालवीय के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार रखे। गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर एवं पंडित मदन मोहन

मालवीय के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। गोष्ठी में अरूण वशिष्ठ ने महामना एवं नारी शिक्षा, अनिल वर्मा ने विश्व पटल पर मालवीय, डा.राधिका नागरथ ने मालवीय का दर्शन, विजेंद्र पालीवाल ने महामना के सम्बन्ध में महापुरुषों के विचार, गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा ने गंगा आंदोलन एवं मालवीय, मालवीय एक लेखक, चेतना पथ के संपादक अरूण कुमार पाठक ने एक संपादक, एक पत्रकार, डा.हरि गोपाल शास्त्री ने स्वतंत्रता आंदोलन एवं मालवीय, मर्म चिकित्सक डा.सुनील जोशी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय तथा मालवीय पर व्याख्यान दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ कवि अरुण कुमार पाठक की महामना पर रचित कविता- श्मालवा मूल था उनका, सभी मालवीय कहते थे के पाठ से हुई। कार्यक्रम का संचालन डा.नरेश मोहन शर्मा ने किया।
संस्था के पदाधिकारियों ने तिलक लगाकर तथा पुष्प भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि एवं समाजसेवी मुकेश कौशिक ने महामना मालवीय के जीवन के साथ ही, उनकी हिंदू सनातन संस्कृति पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।

उन्होंने कहा कि हमें मदन मोहन मालवीय आदर्शों के अनुरूप समाज के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभाना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी हरिहरानन्द महाराज ने कहा कि महामना ने जिस प्रकार स्वयं को भारत माता की सेवा में समर्पित किया, उसे एक संत ही समझ सकता है। मालवीय एक महान संत थे। संस्था के अध्यक्ष पंडित पदम प्रसाद सुवेदी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर समाजसेवी जगदीश लाल पाहवा, मुस्कान फाउंडेशन की नेहा मलिक, प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष प्रो.पी.एस. चौहान, गजेन्दर कौशिक, संजय अग्रवाल, वैद्य दीपक कुमार, समाज सेवी विशाल गर्ग, शिव शंकर शर्मा, पुष्पेन्द्र जोशी आदि मौजूद रहे।

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