पश्चिम बंगाल से ममता दीदी की विदाई तय-साक्षी महाराज

Haridwar News
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राहत अंसारी
कुंभ मेले की कमान मुख्यमंत्री खुद संभाले-श्रीमहंत नरेंद्र गिरी
हरिद्वार, 28 मार्च। उन्नाव सांसद साक्षी महाराज ने श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी स्थित चरण पादुका मंदिर पहुंचकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज से भेंटवार्ता कर कुंभ मेले पर चर्चा की। इस दौरान मा मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने शाॅल ओढ़ाकर स्वागत किया। साक्षी महाराज ने कहा कि केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है। दोनो सरकारों के आपसी समन्वय से कुंभ मेला दिव्य व भव्य रूप से संपन्न होगा। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के सानिध्य में उज्जैन, नासिक, प्रयागराज के कुंभ सफल रूप से आयोजित हुए हैं। उसी प्रकार हरिद्वार कुंभ भी दिव्य व भव्य रूप से संपन्न होगा।

साक्षी महाराज ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनेगी और ममता दीदी की विदाई होगी। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को कुंभ मेले की कमान अपने हाथों में लेनी चाहिए। अब तक सरकार को भ्रमित करते रहे अधिकारियों को हटाया जाए। ऐसे अधिकारियों के कारण ही कुंभ की व्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं। जिससे सरकार की छवि पर भी असर पड़ा। इसलिए मुख्यमंत्री को अनुभवी अधिकारियों को कमान सौंपनी चाहिए। कुंभ मेला लाखों करोड़ों की आस्था से जुड़ा हुआ है। इतने विशाल धार्मिक आयोजन में किसी भी प्रकार की लापरवाही ना हो इसका सरकार को विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हरिद्वार का कुंभ इतना भव्य होना चाहिए कि प्रधानमंत्री प्रयागराज को भुलकर हरिद्वार की प्रशंसा करें। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि शासन प्रशासन चाहे तो कुंभ मेला को अभी भी पूरी दिव्यता व भव्यता के साथ संपन्न कराया जा सकता है। इसके लिए अधिकारियों को इच्छा शक्ति दिखानी होगी। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि साक्षी महाराज निर्मल अखाड़े के महामण्डलेश्वर के रूप में पूरी दुनिया मंें धर्म प्रचार कर सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति की पताका को फहरा रहे हैं।

इस अवसर श्रीमहंत लखन गिरी, श्रीमहंत रामरतन गिरी, अखाड़ा परिषद उपाध्यक्ष श्रीमहंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, महंत जसविन्दर सिंह, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत ओंकार गिरी, महंत केशवपुरी, श्रीमहंत राधेगिरी, महंत नीलकंठ गिरी, महंत नरेश गिरी आदि संतजन मौजूद रहे।

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