व्रज के समान कठोर होता है तीर्थ स्थल पर किया गया पाप कर्म-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 19 जनवरी। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में विकास कॉलोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया तीर्थ स्थल पर किया गया पाप वज्र के समान होता है। इसके लिए कई जन्मों तक यातना भोगनी पड़ती है। मनुष्य योनि में जन्म लेने के उपरांत मन, वाणी एवं कर्म से मनुष्य जाने अनजाने में पाप कर्म कर बैठता है तो इसकी निवृत्ति तीर्थ पर जाकर, श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करनेे ,दान पुण्य आदि करने से हो जाती है। परंतु जो लोग तीथ स्थल पर भी पाप कर्म करते हैं।

उनका पाप वज्र के समान कठोर हो जाता है एवं अनेकों जन्मों तक कीट, पतंग, कुकर, सुकर इत्यादि योनियों में रहकर नरक यातना भोगनी पड़ सकती है। इसलिए तीर्थ पर जाकर ज्यादा से ज्यादा पुण्य कर्म करने चाहिए और भूल से भी पाप नहीं करना चाहिए। तीर्थ पर नियमों का पालन करें। भूमि पर सोयें, स्नान आदि कर यज्ञ करें तो तीर्थ यात्रा का फल प्राप्त होता है। मुख्य जजमान नरेंद्र ग्रोवर, ललिता ग्रोवर, रोहित ग्रोवर, अर्पिता ग्रोवर, जगदीश ग्रोवर, महेश ग्रोवर, ललित ग्रोवर, पूनम ग्रोवर, पारस ग्रोवर, शांति, विष्णु गौड़, पंडित जगदीश प्रसाद, पंडित गणेश कोठारी आदि ने भागवत पूजन किया।

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