अमरीश
हरिद्वार, 11 मार्च। आर्यनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि तीर्थ में पुण्य कर्म करने से सभी पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं। लेकिन तीर्थ स्थल पर किया गया पाप कभी नष्ट नहीं होता और वज्र के समान हो जाता है। जिसके फलस्वरूप कई जन्मों तक दुख भोगना पड़ता ह।ै इसलिए सभी को तीर्थ की मर्यादा का पालन करना चाहिए। तीर्थ पर दान पुण्य करे और भगवान का चिंतन करें। तभी तीर्थ का फल प्राप्ता होता है। शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि तीर्थ पर भूमि पर शयन करना चाहिए।
तीर्थ के जल में स्नान कर यज्ञ करना चाहिए और ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दक्षिणा देनी चाहिए। इसके उपरांत तीर्थ के अधिष्ठाता देवता का दर्शन करना चाहिए। इस प्रकार से जो तीर्थ यात्रा करता है। उसके जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। जीवन में समस्त सुखों का भोग कर अंत में भगवान के लोक का अधिकारी बनता है। तृतीय दिवस की कथा में शास्त्री ने ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रचना, मनु सतरूपा की उत्पत्ति, मनु महाराज की पुत्री देवहुती का विवाह, कर्दम मुनि के साथ कपिल देवहुती संवाद, शिवशक्ति चरित्र की कथा का भी वर्णन किया। इस अवसर पर मुख्य जजमान संध्या गुप्ता, प्रवीण गुप्ता, वसुधा गुप्ता, तुषार सिंघल, वन्या सिंघल, युवान सिंघल, विष्णु प्रसाद सरार्फ, उपेंद्र कुमार गुप्ता, प्रमोद कुमार गुप्ता, शशिकांत गुप्ता, अमित गुप्ता, अश्विनी गुप्ता, राजीव लोचन गुप्ता, कुणाल गौतम, वरुण सैनी, भावेश पंडित आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।