गोपिकाओं को कुदृष्टि से बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने की थी चीरहरण लीला-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 20 दिसम्बर। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में स्वागत बैंकट हॉल आर्य नगर चैक ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को माखन चोर कहना गलत है। कंस एवं कंस के साथी राक्षसों से मुकाबले के लिए बृजवासी बालकों को बलवान बनाने के लिए ही भगवान गोपिकाओं के घरों में जाकर उन्हें दूध, दही माखन खिलाते थे। जिससे बृज के बालकों का बल बढ़ा। जिससे अघासुर, बकासुर, केसी, कंस जैसे राक्षसों का संहार हो सके।

इसी प्रकार से भगवान की गोपियों के संग चीर हरण लीला पीछे उनका प्रयोजन गोपिकाओं को राक्षसों की कुदृष्टि से बचाना था। श्रीकृष्ण ने जिस समय पर गोपियों के संग चीर हरण लीला की उस समय पर कृष्ण की अवस्था 6 वर्ष की थी। चीरहरण के माध्यम से कन्हैया ने सभी को शिक्षा दी कि स्नान करते समय, दान देते समय, सोते समय, चलते फिरते समय बिना वस्त्रों के नहीं रहना है। भगवान श्रीकृष्ण की सभी लीलाओं के पीछे कुछ न कुछ रहस्य छुपा हुआ है। कथाव्यास शास्त्री ने श्रद्धालुओं को गोवर्धन महोत्सव की कथा का भी श्रवण कराया।

कथा के मुख्य जजमान योगेश कौशिक, सुनीता कौशिक, अशोक कालिया, अमित कालिया, विश्वेश्वर दयाल शर्मा, सुधीर शर्मा, सुनील शर्मा, परमेश कौशिक, अविनेश कौशिक, समर्थ कौशिक, सुशांत कालिया, यामिनी कालिया, निशांत कौशिक, तुषार कौशिक, प्रशांत कौशिक ने भागवत पूजन संपन्न किया।

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