भगवान विष्णु व महादेव शिव के मिलन का दिन है बैंकुंठ चतुर्दशी-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 6 नवम्बर। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट की और से बसंत विहार कॉलोनी में श्रीमद् भागवत कथा के पूर्णाहुति दिवस पर कथा व्यास पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि को ही बैकुंठ चतुर्दशी कहा जाता है। वैकुंठ चतुर्दशी भगवान विष्णु अर्थात हरि और भगवान शिव अर्थात् हर के मिलन का दिन है। शास्त्री ने बताया देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक चातुर्मास रहता है।

चातुर्मास में भगवान विष्णु के योगनिद्रा में चले जाने के कारण सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव के पास होता है। इसके बाद देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। तब चतुर्दशी के दिन बैकुंठ के द्वार खुलते हैं और भगवान शिव सृष्टि का कार्यभार पुन. विष्णु को सौंपने बैकुंठ जाते हैं। इसी उपलक्ष्य में बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। कथा व्यास पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि एक बार नारद पृथ्वीलोक का भ्रमण करके बैकुंठ में भगवान विष्णु के पास पहुंचे। विष्णु ने नारद से आने का कारण पूछा। नारद ने कहा भगवन! आपको पृथ्वीवासी कृपानिधान कहते हैं। किंतु उससे तो केवल आपके प्रिय भक्त ही तर पाते हैं।

साधारण नर-नारी नहीं। इसलिए कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे साधारण नर-नारी भी आपकी कृपा के पात्र बन जाएं। इस पर भगवान बोले- हे नारद कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को जो नर-नारी व्रत का पालन करते हुए भक्तिपूर्वक मेरी पूजा करेंगे उनको स्वर्ग प्राप्त होगा। इसके बाद भगवान विष्णु ने जय-विजय को बुलाकर आदेश दिया कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को बैकुंठ के दरवाजे खुले रखे जाएं। भगवान ने यह भी बताया कि इस दिन जो मनुष्य किंचित मात्र भी मेरा नाम लेकर पूजा करेगा उसे बैकुंठधाम प्राप्त होगा। सुख समृद्धि, धन-धान्य, स्वर्णाभूषण, शांति, पारिवारिक प्रेम की प्राप्ति के लिए बैकुंठ चतुर्दशी के दिन एक महाउपाय सभी को अवश्य करना चाहिए। इस दिन सायंकाल के समय घर के पूजा स्थान में एक चैकी पर थोड़े से अक्षत की ढेरी लगाकर इसके मध्य में एक मिट्टी का दीपक रखें। इस दीपक में चार बातियां और शुद्ध घी डालकर प्रज्जवलित करें। प्रज्वलित करने से पहले दीपक का पूजन करें।

इसके सामने बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की 11 माला स्फटिक की माला से करें। दीपक पूर्ण हो जाने के बाद चावल की ढेरी में से थोड़े से चावल एक लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। शेष चावल जल में प्रवाहित कर दें। कथा व्यास ने बताया कि ऐसा करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होगी। बसंत विहार में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चैथे दिवस सभी ने यज्ञ में आहुतियां प्रदान की एवं यज्ञ नारायण भगवान से समस्त भक्तों के घरों में सुख समृद्धि धन-धान्य की प्रार्थना की। इस अवसर पर नगर निगम मेयर अनीता शर्मा, समाजसेवी अशोक शर्मा, सुनील कुमार, देवेश गौतम, विजेंद्र गोयल, डा.हर्षित गोयल, सुमित, श्वेता, दीपिका, शांति, बीना, मीनू सचदेवा आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।

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