तनवीर
हरिद्वार, 17 नवम्बर। पतंजलि विश्वविद्यालय में अनुसंधान आधारित एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर बीएनवायएस के संकायाध्यक्ष डा.तोरण सिंह ने कहा कि मनुष्य ही एकमात्र प्राणी है जो अपने पर्यावरण, प्रकृति तथा प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जागरूक एवं जिज्ञासु है। मनुष्य ने अपनी तर्क शक्ति, चिन्तन व अनुसंधान के बल पर प्राकृतिक चिकित्सा को अग्रणी बनाया।
वह निरन्तर प्राकृतिक संसाधनों पर गहन अनुसंधान करता रहा और प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में एक श्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति स्थापित की। कार्यशाला में सर्वप्रथम डा.शैफाली गौड़ ने उपस्थित प्रतिभागियों से अनुसंधानपरक प्रश्न पूछे और उनका समाधान किया। साथ ही उन्होंने अनुसंधान पद्धति पर अपने विचार साझा किए। डा.गगनदीप ने साहित्य अनुसंधान तथा डा.आस्था अग्रवाल ने डॉटा संग्रह और इसके संसाधनों पर व्याख्यान दिया। डा.इशिता गुप्ता ने अध्ययन की रूपरेखा का परिचय दिया।
सायंकालीन सत्र में डा.डिम्पल कोंडल ने जैव सांख्यिकी का परिचय विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। डा.चन्द्रशेकरन ने अनुसंधान के चरणबद्ध निर्देश साझा किए। डा.मंजूनाथ शर्मा ने योग अनुसंधान पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यशाला में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक उपाध्यक्ष डा.अनुराग वार्ष्णेय, स्वामी आनंददेव, पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के दंत चिकित्सा एवं अनुसंधान केन्द्र के विभाग प्रमुख डा.कुलदीप सिंह तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएँ, शिक्षकगण, शोधार्थी, आगन्तुक अतिथि उपस्थित रहे। डा.तोरण सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।