तनवीर
हरिद्वार, 13 अप्रैल। ब्रह्मलीन योगीराज बर्फानी दादा के शिष्य राजकमल दास ने कहा कि अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन ठीक प्रकार से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व है। संत महापुरूषों के सानिध्य में होने वाला कुंभ मेला पूरे विश्व को आध्यात्मिक संदेश प्रदान करता है। जिससे प्रभावित होकर यूरोपीय नागरिक सनातन धर्म को अपना रहे हैं। कुंभ मेले में देश भर के संतों का गंगा तट पर होने वाला विशाल समागम श्रद्धालु भक्तों में धार्मिक चेतना का संचार करता है। जिससे सनातन परंपरांए मजबूत होती है। बुधवार को होने वाले अखाड़ों के शाही स्नान के दौरान पूरी दुनिया को भारतीय अध्यात्म व दर्शन की अद्भूत छठा देखने को मिलेगी।
अलौकिकता व दिव्यता से भरा महाकुंभ मेला सभी को आकर्षित कर संतो के दिव्य दर्शन व आशीर्वाद से फलीभूत करता है। उन्होंने कहा कि शाही स्नान के पावन दिन पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाने मात्र से ही व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पापों का शमन हो जाता है और जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला लोक आस्था का महापर्व है और वैरागी संत कुंभ मेले की शान हैं।
दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालु भक्त वैष्णव संतो के युद्ध कौशल से प्रभावित होते हैं। वैष्णव अखाड़ों की गौरवशाली परंपराएं विश्व विख्यात हैं, जो सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति की पताका को पूरे विश्व में फहराती हैं। 12 वर्ष की लंबी अवधि के बाद कुंभ मेले का आयोजन होता है। जिसमें करोड़ों श्रद्धालु भक्त आस्था की डुबकी लगाकर स्वयं को कृतार्थ करते हैं। पतित पावनी मां गंगा की असीम कृपा से कुंभ मेला दिव्य एवं भव्य रुप से संपन्न होगा।