श्राद्ध पक्ष में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से पितरों को मिलती है शांति-स्वामी हरिचेतनानंद

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कमल खडका

हरिद्वार, 11 सितम्बर। पतित पावनी मां गंगा के तट पर श्राद्ध पक्ष में श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से पित्र पक्ष को शांति प्राप्त होती है और पितृ प्रसन्न होकर अपने कुटुंब परिवार को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन श्रीमद्भगवत कथा का पठन अथवा श्रवण करता है तो उसे आत्मिक शांति के साथ कष्टों से भी छुटकारा मिलता है।

उक्त उद्गार उत्तरी हरिद्वार क रामगढ़ स्थित श्रीगरीबदासीय परमानंद आश्रम में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के शुभारम्भ पर महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्राद्ध पक्ष में जो मनुष्य अपने पितरों को प्रसन्न और शांत करने के लिए श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है उसके  सभी संताप नष्ट हो जाते हैं और परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण कर ब्राह्मण को भोजन, वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर प्रसन्न करना चाहिए ।

गरीबों को भोजन कराना चाहिए। जिससे प्रसन्न होकर पितर परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दौरान आश्रम के संचालक व कथाव्यास महंत स्वामी केशवानंद महाराज ने कहा कि परिवार में सुख शांति और समृद्धि के लिए पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए। श्रद्धा से किया गया श्राद्ध पितृ अवश्य स्वीकार करते हैं और परिवार को सुख शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धा से किया गया कर्म श्राद्ध कहलाता है।

अपने पितरों के निमित्त श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं। पितरों को तृप्त करने की क्रिया को तर्पण कहा जाता है। तर्पण करना ही पिंडदान करना है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। जिससे मनुष्य को जीवन के सार का पता चलता है और सही और गलत कर्म के संबंध में ज्ञान प्राप्त होता है। इस दौरान मुख्य यजमान टीना देवी, सोनू गिरि, बाला देवी, राधा, गंगा, गोरा ने व्यासपीठ की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

फोटो नं.1-श्रद्धालुओं को संबोधित करते स्वामी हरिचेतनानंद महाराज


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