प्रमोद गिरि
हरिद्वार, 17 मार्च। सप्तऋषि मार्ग स्थित चंडीगढ़ भवन में आयोजित शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को नारद मोह की कथा का श्रवण कराते हुए म.म.स्वामी सत्यात्मानंद गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ के पुण्य अवसर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा, श्रीराम कथा, श्री शिव महापुराण देश व समाज के कल्याण को समर्पित हैं। महामंडलेश्वर स्वामी सत्यात्मानंद गिरि महाराज ने कहा कि मनुष्य के अंदर ममता कभी भी जागृत हो सकती है। संत बन जाने पर भी ममता जाग जाती है। मनुष्य सब कुछ छोड़ सकता है। लेकिन ममता का परित्याग नहीं कर सकता है। उन्होंने ने कहा कि जो भक्ति अहंकार युक्त होती है वह संसार की ओर ले जाती हैं और जो भक्ति अहंकार मुक्त होती है
वह परमात्मा की ओर ले जाती है। नारद जी के अंदर अहंकार का भाव आने पर ममता का भाव जागृत हो गया और उन्होंने विवाह करने का मन बना लिया। किंतु सन्यासी का विवाह से कोई संबंध नहीं होता है। नारद जी एक परमात्मा रुपी संत समान हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को ममता के बंधन का परित्याग करना चाहिए। तभी उसे परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। महामंडलेश्वर सत्यात्मानंद गिरि महाराज ने कहा कि अपने ६०वें जन्मदिन के अवसर पर 26 अप्रैल को 61 कन्याओं का विवाह महोत्सव कन्याओं व परिवार के कल्याण के लिए आयोजित किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक बलवीर गर्ग, सुरेश गोयल नायब सिंह सैनी, विशंभर प्रसाद, गणेश प्रसाद, महेश गर्ग, संजय अरोड़ा, ब्रजपाल चैधरी, सोनू खन्ना, अनीश मंगला, अशोक बंसल, राजीव जैन, सोहन गोपाल, रामबाबू, तिलकराज, लखनलाल, रूद्रप्रसाद, सुरेश कुमार, लब्बू राम, सतीश अग्रवाल, बलबीर गर्ग, सूरजभान आदि श्रद्धालु भक्तों ने कथा व्यास बाल योगी पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी सत्यात्मानंद गिरि महाराज का माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया। ——————————-