अमरीश
हरिद्वार, 23 फरवरी। विश्व एकता मंच के संस्थापक अध्यक्ष डा.बीपी शुक्ल के आवास पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। हिन्दी-उर्दू कवि डा.श्याम बनौधा तालिब ने कहा कि हमको वीणा की झंकार दो माँ, बुद्धि दो और ज्ञान का भण्डार दो माँ। डा.बीपी शुक्ल ने कहा कि खुश मन जब उछलता है, सितारे आसमाँ के तोड़ धरती को सजा दूं मैं, कली हर एक खिल जाए हवा ऐसी बहा दूँ मैं। पंडित ज्वाला प्रसाद शांडिल्य का कहना था कि मन मतंग हो जाये, जीवन धन्य हो जाए। स्वतः सिद्ध होगा मनोरथ, उर शिवालय हो जाये।
कवि डा.एमसी काला ने कहा कि देख बदलते चमन को भ्रमित हुआ भ्रमर, लिखा था जिस पर नाम, वह पत्थर बदल गया। कवयित्री लीना बनौधा इंशा ने गुरु महिमा का बखान यूँ किया कि गुरु बिन राह मिले नहीं, गुरु बिन मिले ना ज्ञान। गुरु मिले समझो मिले,साक्षात् भगवान। गोष्ठी में डा.अजय, राजकुमार शर्मा आदि ने भी भाग लिया। गोष्ठी का कुशल संचालन एमसी काला ने किया।