आहार एवं व्यवहार में बदलाव समाज के लिए घातक-स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती

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राम नरेश यादव

हरिद्वार 3 जून। श्री गीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज द्वारा लाकडाउन में प्रारंभ की गई भोजन सेवा अनवरत जारी है। भोजन सेवा के साथ लाॅकडाउन में आजीविका गंवा चुके दैनिक आधार पर मजदूरी कर परिवार चलाने वाले जरूरतमंदों को आटा, चावल एवं दालों का वितरण भी किया जा रहा है। राशन वितरण का कार्य ट्रस्टी एवं सहयोगियों के माध्यम से कराया जा रहा है। कोरोना वायरस के कारण हुए लाॅकडाउन को महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने मानव जनित संकट बताते हुए कहा कि जब व्यक्ति के विनाश का समय आता है तो उसकी बुद्धि विपरीत कार्य करने लगती है और बुद्धि को शुद्ध करने की कोई औषधि नहीं है।

मानव जीवन में लगातार बढ़ रहे आहार एवं व्यवहार के बदलाव को समाज के लिए घातक बताते हुए उन्होंने कहा कि जब अधिकार और धन का प्रभुत्व बढ़ता है तो समाज पतन की ओर जाता है। तामसी एवं अशुद्ध आहार को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हुए उन्होंने कहा कि सात्विक पदार्थों के सेवन से ही तन, मन और बुद्धि तीनों शुद्ध हो जाते हैं। ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में ऋषि-मुनियों ने वर्णन किया है। लेकिन आज का मानव अपने पैतृक संस्कार भुलाकर विदेशी वातावरण की ओर भाग रहा है।

यही कारण है कि समाज में नाना प्रकार की विसंगतियां बढ़ती जा रही है। अन्न जल एवं वातावरण को शुद्ध रखने का आह्वाहन करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म और संस्कृति के सापेक्ष आचरण करने वालों पर मानव जनित व्याधियों का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। उन्होंने सम्पूर्ण विश्व के उज्जवल भविष्य एवं सुखमय जीवन की कामना करते हुए कहा कि आपदाओं की आवृत्ति प्रकृति का नियम है इनसे बिना घबराए सावधानी बरतनी चाहिए तभी मानवता की रक्षा की जा सकती है।