राकेश वालिया
हरिद्वार, 10 अप्रैल। जहां एक ओर कोरोना के खिलाफ जंग में सरकार, शासन, प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं के साथ आम आदमी कंधे से कंधा मिलाकर शामिल हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। ऐसा ही एक केस हरिद्वार में सामने आया। जब एक एंबुलेंस चालक की ओर से गौतम फार्म हाउस से अर्थी को कनखल शमशान घाट छोडने के एवज में आठ सौ रुपए ले लिए गए। मजबूरी में पीडित परिवार को पैसे देने पडे। असल में हरिद्वार में पत्रकार विक्की सैनी के पिता का लंबी बिमारी के बाद गुरुवार नौ मार्च की दोपहर निधन हो गया था।
परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए अंतिम यात्रा वाहन उपलब्ध नहीं हो सका। कहीं चालाकों के बीमार होने की बात कही गई तो कहीं वाहन ना होने का बहाना बनाया गया। हालांकि गंगा सभा अपना अंतिम यात्रा वाहन देने के लिए राजी हो गई थी। लेकिन अनुमति में समय जाया करने के बजाए पत्रकार विक्की सैनी ने एक निजी एंबुलेंस से संपर्क किया। लेकिन जब एंबुलेंस समय से नहीं आई। तो परिवार के लोग और करीबी दोस्त और पडोसी अर्थी को कंधों पर लेकर ही चल दिए।
कनखल पुलिया पार करने के बाद गौतम फार्म हाउस के करीब पहुंचने पर एंबुलेंस पहुंची। एंबुलेंस से अर्थी को शमशान घाट कनखल पहुंचाया गया। इसके एवज में चालक ने आठ सौ रुपए ले लिए। पत्रकार विक्की सैनी ने बताया कि एंबुलेंस चालक ने गौतम फार्म हाउस से शमशान घाट तक के आठ सौ रुपए ले लिए। जबकि चालक से आग्रह भी किया गया था, लेकिन वो नहीं माना। उन्होंने कहा कि मजबूरी में इस तरह से फायदा उठाना ठीक नहीं है। हम भी इस कठिन समय में अपनी जान जोखिम में डालकर पत्रकारिता कर रहे हैं और आम जन तक सरकारी सूचनाएं पहुंचाने का काम कर रहे हैं। लोगों को ऐसे समय में समझदारी से काम लेने की जरूरत है।