चुनाव घोषणा पत्र के लिए समाजसेवियों ने राजनीतिक दलों को दिए सुझाव

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तनवीर


हरिद्वार, 12 दिसम्बर। शहर के कई समाजसेवियों ने राजनीतिक दलों को सुझाव प्रेषित करते हुए जनसामान्य से जुड़े मुद्दो को घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की है। समाजसेवी शरत शर्मा, शिवकुमार राजपूत व वेदांत ने प्रैस को जारी बयान में कहा है कि उत्तराखण्ड में पलायन, बेरोजगारी, महंगाई जैसी समस्याएं प्रमुख मुद्दे हैं। उत्तराखण्ड में विधानसभा होने वाले हैं। चुनावी मौसम में वायदों की बाढ़ सी आने लगती है।

चुनाव परिणाम आने के बाद सभी वायदे हवा हो जाते है और अगले चुनावों में फिर बिजली, पानी, स्वास्थ्य जैस मुद्दे जस के तस बाकी रह जाते है। उत्तराखंड में बेरोजगारी, महंगाई और पलायन की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। लेकिन इन प्रमुख मुद्दों पर राजनैतिक दल कोई ठोस विजन जनता के सामने रखने में असफल रहे है। सभी राजनैतिक दलों का झुकाव लोक लुभावनी योजनाओं का प्रचार करने में ज्यादा दिखाई देता है।

आम आदमी पार्टी के 300 यूनिट फ्री बिजली देने के गॉरन्टी पत्र के जारी करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 200 यूनिट फ्री बिजली देने के वादे साथ एक कदम और आगे बढ़ते हुए गैस सिलिंडर पर 200 रूपये की अतिरिक्त सब्सिडी देने की घोषणा कर दी। चुनावी वादे करने के समय राजनीतिक दल यह भूल जाते है कि उत्तराखंड की जनता पर अभी तक 70000 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है और कोरोना काल में इसे कुल घरेलू उत्पाद का 31 प्रतिशत तक करने की दिशा में विधानसभा में “ऋण पत्र” पास किया जा चुका है।

जनता के बीच फ्री बाँटने की होड़ ने प्रदेश को कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसा दिया है। उन्होंने कहा कि 2017 में भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में फ्री लैपटॉप और फ्री वाई फाई कनेक्शन देने की घोषणा की थी। जो कि 2022 के चुनाव आते आते अभी भी सिर्फ एक घोषणा ही बनी हुई है। उत्तराखंड के 734 गांव आधिकारिक घोस्ट विलेज का दर्जा प्राप्त कर चुके है। अरबों रूपये का बजट और तकनीक पर नियंत्रण होने के बावजूद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
सुझाव प्रेषित करते हुए समाजसेवियों ने कहा कि सभी राजनैतिक दलों को अपने चुनावी घोषणा पत्र को मतदाता और नेता के बीच का एक अनुबंध घोषित करना चाहिए। भारत के न्यायतंत्र को भी इस महत्वपूर्ण विषय पर संज्ञान लेकर राजनैतिक दलों के घोषणापत्र की सीमाएं तय कर देनी चाहिए। बिना कसौटी पर तौले, सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए लोकलुभावनी घोषणाएं करना गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए और राजनैतिक दलों की उनकी घोषणाओं के प्रति जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए ।
वीरान हो रहे गांवों की समस्या दूर करने के लिए राजनैतिक दलों को बूथ इकोनॉमिक्स मॉडल को अपने मेनिफेस्टो में स्थान देना चाहिए और प्रत्येक बूथ पर उस बूथ के क्षेत्राधिकार में ही नियुक्ति करते हुए कम से कम 10 सरकारी नौकरियां सृजित करनी चाहिए। बूथ इकोनॉमिक्स एवं माइक्रो इकोनॉमिक्स के मॉडल से एक लाख दस हजार युवाओ को उनके बूथ पर ही नौकरी दी जा सकती है। ।
नौकरियों के माध्यम से सरकारी योजनाओं को बूथ पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त बूथ इकोनॉमिक्स के मॉडल पर चलते हुए बूथ के दायरे में रहने वाले हर परिवार की आर्थिक स्तिथि का आकलन करते हुए उन्हें सहकारिता ऋण आदि जैसी सरकार द्वारा चलाये जाने वाली विभिन्न ऋण योजनाओं से जोड़कर रोजगार के समान अवसर उपलब्ध करवाएं जाएं।
व्यापारियों को बाजार में प्रचलित आर्डर-उधार-भुगतान व्यवस्था आदि व्यवहार के अनुरूप नई ऋण योजना बना कर, ऋण राशि उपलब्ध कराना साथ ही उनका आर्डर व उधार न डूबे इसके लिए स्वच्छ व स्वस्थ व्यापारिक व्यवस्था बनाने के लिए आवश्यक कानून बनाना ।
सरकार द्वारा प्रायोजित ऑनलाइन व्यापार करने वाली वेब अप्लीकेशन बनाना। इस ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म पर स्वयं सहायता प्राप्त समूह से लेकर अन्य योजनाओ के अंतर्गत आने वाले उत्पादकों को भी अपने उत्पादों का ऑनलाइन प्रमोशन करने की सुविधा उपलब्ध कराना। इस प्रकार उत्पाद की गुणवता, उपलब्धता एवं वितरण व्यवस्था तीनो क्षेत्रो में सरकार द्वारा प्रायोजित प्लेटफॉर्म होने से स्थानीय व् स्वदेशी उत्पादकों के प्रति उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा।
पर्यटन रोजगार में स्थानीय लोगो के रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए, चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन कैब बुकिंग, ऑनलाइन बस बुकिंग के लिए सरकारी वेब एप्लीकेशन व सरकारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार करना व नए पर्यटन स्थल सृजित करते हुए रोजगार के नए अवसर पैदा करना, राज्य सरकार का रेवेन्यू बढ़ाना।
एयर एम्बुलेंस व इसके अन्य विकल्प तलाश कर प्रदेश के दुर्गम स्थानों तकचुनाव घोषणा पत्र के लिए समाजसेवियों ने राजनीतिक दलों को दिए सुझाव।100 प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करना, ब्लॉक, बूथ स्तर पर आधुनिक व व्यवहारिक व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध कराना पहाड़ो में ब्लॉक स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत करना आदि को राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में शामिल करें।

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