कमल खड़का
हरिद्वार, 2 मई। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए किए गए लाॅकडाउन की मार प्रत्येक वर्ग पर पड़ रही है। रोजगार बंद होने से लोगों के सामने दो वक्त का भोजन जुटाना मुश्किल हो रहा है। हरिद्वार में विभिन्न ज्वैलर्स की दुकानों पर काम करने वाले स्वर्णकार भी मुश्किलों से जूझ रहे हैं। सोने को विभिन्न आकार व डिजाईनों में ढालकर आभूषण का रूप देने वाले करीब चालीस स्वर्णकार ज्वालापुर के विभिन्न मौहल्लों में रहते हैं। लाॅकडाउन की वजह से काम बंद होने से सभी खाली बैठे हैं। सर्राफा स्वर्णकार संघ के जिला अध्यक्ष शिवकुमार गुप्ता ने बताया कि वर्षो से पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र के करीब 40 कारीगर ज्वालापुर में विभिन्न ज्वैलर्स की दुकानों पर काम कर रहे हैं।
लाॅकडाउन की वजह से ज्वैलर्स की दुकानें भी एक महीने से ज्यादा समय से बंद हैं। ऐसे में सभी कारीगर खाली बैठे हैं। सर्राफा स्वर्णकार संघ की ओर से व ज्वैलर्स की ओर से कारीगरों की मदद की गयी है। एक महीने का वेतन भी सभी को दिया गया। लेकिन कारोबार बंद रहने से लंबे समय तक मदद करना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सरकार को कारीगरों की मदद करनी चाहिए। जल्द ही कारीगरों की मदद के लिए जिला अधिकारी को संघ की ओर से ज्ञापन भी दिया जाएगा।
ज्वैलर्स अब्दुल रब ने बताया कि लाॅकडाउन होने के बाद से ही ज्वैलर्स अपने कर्मचारियों की मदद कर रहे हैं। एक माह का वेतन देने के साथ खाद्य सामग्री भी कारीगरों को उपलब्ध करायी गयी है। लेकिन कारोबार लगातार बंद रहने से ज्वैलर्स भी संकट में आ गए हैं। ऐसे में सरकार व प्रशासन को मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्वालापुर के चैक बाजार, कटहरा बाजार व मैदानियान में रह रहे स्वर्ण कारीगरों को सरकार की ओर से राशन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अब्दुल रब ने यह भी कहा कि परिवारों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने में असमर्थ कारीगर मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। उनकी मदद के लिए जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना चाहिए।