मण्डी व्यापारियों को दिया जाए अनुदान⪫ चोपड़ा

Haridwar News Uttarakhand
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अमरीश

हरिद्वार, 29 मार्च। कोरोना वायरस की इस जंग में लॉकडाउन के दौरान थोक भाव मे मंडी से लाकर आम उपभोक्ताओं व जनता तक फ्रूट- सब्जी उपलब्ध करा रहे सैकड़ों व्यापारी एक सप्ताह के इस लॉकडाउन में 50-50, 60-60 हजार के नुकसान व कर्जे में आने से चिंतित है। व्यापारियों के प्रतिनिधियों ने वरिष्ठ व्यापारी मुकेश कोठियाल की अगुवाई में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व जिला प्रशासन से मांग की कि सरकार की और से हर वर्ग को इस महामारी अंतरराष्ट्रीय आपदा के दौरान हर संभव मदद दी जा रही है।

उसी के दृष्टिगत मंडियों में पंजीकृत फूटकर लाइसेंस धारक व्यापारियों की पीड़ा को समझकर उनकी समस्या का निदान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमूमन मंडी के दरों पर फूटकर फ्रूट सब्जी आलू होलसेल भाव से 40 फीसदी की गिरावट पर आम उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराना पड़ रहा है। जैसे कि 2000 की सब्जी लाकर मात्र 1000-1200 की ही बिक्री हो पा रही है और एक सप्ताह के इस लॉकडाउन में हमारी कमर आर्थिक रूप से टूटती जा रही है यदि सरकार ने इस और ध्यान नही दिया तो आगे व्यापार चलाना संभव नही है। इस अवसर पर हरिकृष्ण ने कहा आज भी मंडी में जिला अधिकारी के निर्देशन में 1000 रुपए की आलू की बोरी की लिस्ट बनाई लेकिन बिक्री 1300-1400 तक करी गयी जोकि औचित्य पूर्ण नही है। मंडी प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में नाकाम व फेलियर साबित हो रहा है। यदि सरकार द्वारा हम फूटकर फ्रूट सब्जी व्यापारियों के लिए उचित कदम नही उठाये गए तो हमे मजबूरन अपना व्यापार बंद करना पड़ेगा।

इस अवसर पर फूटकर फ्रूट सब्जी व्यापारियों की मांग को जायज ठहराते हुए पूर्व कृषि उत्पादन मंडी समिति अध्यक्ष, भाजपा नेता संजय चोपड़ा ने कहा कृषि उत्पादन मंडी समिति नियमावली के अनुसार मंडी समितियों में श्रेयस विकास का पैसा कृषको व फूटकर फ्रूट सब्जी के विक्रेताओ के लिए अनुदान राशि के रूप में सभी मंडी समिति में पंजीकृत फूटकर लाइसेंस धारक व्यापारियों को 3-3 लाख का अनुदान देकर फूटकर फ्रूट सब्जी व्यापारियों की व्यवस्था का सुचार किया जा सकता है। वहीं पूर्व मंडी अध्यक्ष संजय चोपड़ा ने यह भी कहा सब्जी मंडी के छोटे व्यापारी जो थोक भाव मे फल सब्जी बेचते हैं। उनको राहत देने के लिए उनकी दुकानो के 3 महीनों के मंडी समिति द्वारा लिया जा रहा किराया इस कोरोना वायरस की महामारी के दृष्टिगत माफ किया जाना चाहिए।

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