विडियो:-शिक्षा दिवस के रूप में मनाया गया ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज का निर्वाण दिवस

Haridwar News
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अमरीश


समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना ही उद्देश्य-महंत मानदास
हरिद्वार, 1 अक्टूबर। कनखल स्थित वाल्मीकि आश्रम के ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज का 40वां निर्वाण दिवस शिक्षा दिवस के रूप में मनाया गया और सम्मान समारोह का आयोजन कर समाज के मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आश्रम के संतों और अतिथीयों ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और समाज को शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। आश्रम के महंत मानदास महाराज के संयोजन एवं स्वामी किशनदास महाराज की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथी देव सिंह असुर ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज दिव्य संत थे

वाल्मीकि आश्रम को सेवा और संस्कार की स्थली के रूप में विकसित करने में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उनके निर्वाण दिवस पर सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते समाज की प्रगति में योगदान का संकल्प लेना चाहिए। रामतीर्थ अमृतसर के महंत गिरधारी नाथ महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज ने संत परंपरांओं का पालन करते हुए समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर शिक्षा के मार्ग पर अग्रसर करने में अहम योगदान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी किशनदास महाराज ने कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज त्याग, तपस्या और सेवा की साक्षात प्रतिमूर्ति थे।

संत महापुरूष शरीर त्यागते हैं। लेकिन उनकी शिक्षाएं और विचार सदैव समाज का मार्गदर्शन करते हैं। ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज की शिक्षाएं भी अनंतकाल तक समाज को राह दिखाती रहेंगी। महंत मानदास महाराज ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए पूज्य गुरूदेव श्रीमहंत शंकरदास महाराज का मानना था कि शिक्षा ही सभी समस्याओं का समाधान है। उनके द्वारा दिए गए ज्ञान का अनुसरण करते हुए समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व अध्यक्ष अमीलाल वाल्मीकि ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज उच्चकोटि के विद्वान संत थे। उन्होंने हमेशा समाज का मार्गदर्शन किया।

सेंट्रल वाल्मीकि सभा के अध्यक्ष गेजाराम वाल्मीकि ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत शंकरदास महाराज का पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित रहा। कार्यक्रम का संचालन अशोक तेश्वर ने किया। कार्यक्रम में स्वामी रविशाह, सुरेंद्र तेश्वर, विक्रम छाछर, डालचंद्र छाछर, सुरेंद्र तेश्वर, आत्माराम बेनीवाल, विनीत जौली, मनमोहन द्रविड़, राजेंद्र चौटाला, अशोक धिंगान, मोहनलाल बग्गल, नरेश चनयाना, अनमोल बिरला, राजेंद्र श्रमिक, आनन्द कांगड़ा, राजेश छाछर, सुनील राजौर, अशोक छाछर, विपिन पेवल, बलराम चुटेला, नीरज चनयाना, मुकेश तेश्वर, अभितेश तेश्वर सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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