दयालबाग। आगरा में जीवनदायिनी यमुना नदी की दयनीय स्थिति
भारत वर्ष में नदियों का महत्व जब से भारत के संस्कृति एवं सभ्यता शुरू हुई तभी से है। भारत वर्ष में नदियों को दैवीय सम्पदा माना जाता है तथा आदि काल से ही इसको पूजनीय माना जाता रहा है कुछ पावन /पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, सरस्वती एवं सरयू का इतिहास तो हमारे पौराणीक देवी देवताओं के साथ जुड़ा हैं। संगम का महत्व तो आदि काल से आज तक है एवं भारत वर्ष में यह सदैव से आदरणीय, पवित्र एवं पूज्यनीय पौराणिक स्थल रहा है। हिंदू पौराणिक परम्परा में तो इनकी आरती भी उतारी जाती थी जो की जगत प्रसिद्ध है।
पुरातन समय में सभी नदियों का जल निर्मल एवं स्वच्छ होता था परन्तु यह कैसी विडंबना है की अब शहरीकरण, औद्योगीकरण एवं विकास के साथ साथ हमारी नदियां दूषित होती जा रही हैं। आज प्रदुषण के कारण नदियों का जल प्रदूषित हो चूका हैं, टनों कचरा नदियों में बहाया जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का गन्दा पानी सीधे नदियों में गिराया जा रहा है, शहर के गंदे पानी के नाले बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे नदियों में गिरते हैं जिसकी वजह से अब नदियाँ नाले बनते जा रहे हैं, यह तो तब हैं जबकी सरकार ने गंगा प्राधिकरण और राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (NGT) की स्थापना इसी के लिए की है कि नदियों को प्रदूषण मुक्त करके प्राकृतिक सम्पदा का संरक्षण किया जा सके परन्तु इतने वर्षों के प्रयास के बावजूद हालात में सुधार तो नहीं हुआ अपितु स्थिति और भी निराशाजनक होती जा रही हैं। यमुना नदी का हाल तो दिन-ब-दिन शोचनीय होती जा रही है। विश्व धरोहर ताजमहल का निर्माण यमुना के दक्षिणी तट पर शाहजहां ने करवाया था, जिससे ताजमहल का दृश्य बहुत सुन्दर और शोभनीय एवं रमणीक दिखाई देगा परन्तु अब यमुना नदी में पानी का प्रवाह ही नहीं है। ग्रीष्मकाल में तो यमुना नदी सिकुड़ कर नाले का रूप ले लेती है इस वर्ष तो अभी से यमुना नदी के पानी का स्तर बहुत कम हो चुका हैं और नदी में गंदगी चरम पर है रही सही कसर यमुना नदी पर अनियंत्रित अतिक्रमण पूरा कर रहे हैं पर्यावरणविदों ने NGT का कई बार इस ओर ध्यान आकर्षित किया गया हैं और उन्हें सचेत किया गया है नदियों के संरक्षण के लिए जिला प्रशासन भी सीधे तौर पर जिम्मेदार है सरकार नदियों के सुधार के लिए अब तक अकूत धन खर्च कर चुकी है पर जमीनी स्तर पर समस्या वैसी की वैसी ही है।
विशेष रूप से आगरा के यमुना के किनारे पोइया घाट और दयालबाग क्षेत्र की स्थिति काफी चिंताजनक है। भारत सरकार और प्रशासन के बड़े खर्चों के बावजूद, इस स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। यमुना का जल पवित्रता का प्रतीक होने के बावजूद, इसकी सफाई और संरक्षण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि नगर के निवासियों को भी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। आगरा में पर्यावरण संरक्षण और साफ-सफाई के लिए उच्च स्तर पर देख रेख एवं उचित कार्य करने की जरूरत है, ताकि यह नगर हमेशा के लिए स्वच्छ और सुंदर रहे। अब समय आ गया है कि सरकार कठोर कदम उठाए और यमुना की स्थिति को सुधारने में नेतृत्व करे। आगरा नगर के लिए यमुना का महत्व अविवादित है। यह न केवल एक प्राकृतिक संपदा है, बल्कि नगर के लोगों के लिए भी जीवनदायी स्रोत का कार्य करती है। इसलिए, सरकार को यमुना के स्तर को सुधारने और उसकी साफ़-सफाई के लिए अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इस समस्या का हल निकालने के लिए आगरा के प्रशासनिक अधिकारियों को सक्रियता दिखानी चाहिए, और साथ ही नागरिकों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। न केवल यमुना की सफाई, बल्कि उसकी आसपास एवं शहर के पर्यावरण का भी ध्यान रखना आवश्यक है। आगरा की इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकार को अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकार करना होगा। अन्ततः हम सभी को यमुना के सुधार के प्रति सक्रिय रूप से योगदान देने की जरूरत है। सरकार, प्रशासन और नागरिक समूहों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि आगरा के निवासियों को स्वच्छ और स्वस्थ यमुना का आनंद उठाने का मौका मिल सके। इस दिशा में कदम बढ़ाना अब न केवल एक जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारी जीवनशैली और भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इसी प्रकार दयालबाग़ आगरा में सिकंदरपुर गांव के पास यमुना नदी पर बना “पांटून पुल” , स्थानीय निवासिओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह न केवल बहुत सारे गावों के निवासियों और आस पास रहने वाले सैकड़ों लोंगो का दैनिक दिनचर्या का अभिन्न अंग हैं अपितु सैकड़ों गांवों के लोगों के लिए एक जीवन रेखा है, इस पुल का महत्व उन गांवों के लोगों के लिए तो और भी अत्यंत महत्वपूर्ण है जो नदी के उस पार रहते हैं। यहाँ के निवासियों के अत्यंत महत्वपूण रोजाना के कार्य जैसे स्कूल, चिकित्सा सुविधाएं, बाजार, और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों तक सुगमता से पहुंचने के लाभार्थी केवल इस “पांटून पुल” के उपयोग से ही संभव हैं
लेकिन बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसकी स्थिति बहुत ही दयनीय है। अक्सरकर स्कूल के बच्चो के वाहन इस पुल पर फंसते रहते हैं इसके चलते भविष्य में कोई भी अनहोनी हो सकती हैं सरकार और प्रशासन इसके सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाता हैं और यही स्थति बनी रही तो निकट भविष्य में इस पुल का उपयोग लोगों के जान माल के लिए जोखिम भरा और घातक होगा
अतः प्रशासन से अपील हैं कृपया इसे अपने संज्ञान में ले और तुरंत उचित कार्यवाही करे जिससे सुगम यातायात के व्यवस्था बनी रहे
यह हमारा सौभाग्य ही है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के हैं अगर आप दोनों थोड़ा और ध्यान नदियों की वर्तमान स्थिति पर दे देंगे तो इस बात की पूरी आशा ही नहीं वरन पूर्ण विशवास है कि नदियों की वर्तमान स्थिति में बहुत सुधार हो सकता हैं, उत्तर प्रदेश के जनता आपकी बहुत आभारी रहेगी।