विश्व में स्थिरता के लिए यूक्रेन संकट का शीघ्र समाधान आवश्यक

Haridwar News
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अमरीश


यूक्रेन संकट पर एसएमजेएन कालेज में आयोजित की गयी विचार गोष्ठी
हरिद्वार, 26 फरवरी। यूक्रेन संकट पर एस.एम.जे.एन.(पी.जी.) काॅलेज में आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ द्वारा विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्राचार्य डा. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि यूक्रेन संकट भारत के मूलभूत राष्ट्रीय हितों को प्रभावित करेगा इसलिए शीघ्र ही इसका समाधान किया जाना आवश्यक है। इस विषय में विभिन्न बौद्धिक एवं आर्थिक संगठनों के विचार अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।

डा.बत्रा ने भारत सरकार से आग्रह किया कि अपने राष्ट्रहितों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक तैयारियों को अंजाम दें। डॉ बत्रा ने आगे कहा कि रूस दुनिया में कच्चे तेल एवं गैस का प्रमुख निर्यातक है अगर पश्चिमी देश रूसी निर्यात पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाते हैं, तो इससे ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, ईंधन आधारित वस्तुओं के रूसी निर्यात में 50 फीसदी से अधिक निर्भरता है।

रूस-यूक्रेन संकट के कारण ना केवल ईंधन की कीमतें बढ़ेंगी बल्कि इसका असर दूसरे कई अन्य उत्पादों पर भी पड़ेगा। रूस दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण गेहूं उत्पादक देशों में से भी एक है। युद्ध के कारण खाद्य पदार्थ भी महंगे हो जाएगे।
छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा.संजय माहेश्वरी ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उत्पन्न हुई शीत युद्ध की राजनीति और सोवियत संघ के विघटन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते कहा कि ऐतिहासिक अन्याय को पुनः आधार बनाकर रुस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण किया गया है। यह स्थिति अत्यन्त विचारणीय है। जिससे भारत के हितों को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि यह युद्ध स्थानीय से अन्तर्राष्ट्रीय न बने इसके लिए प्रयास किया जाना चाहिए।
राजनीति विज्ञान के विभाग अध्यक्ष विनय थपलियाल ने कहा कि रुसी लोगों के राष्ट्रीय चरित्र के बारे में कहा जाता है कि वे राष्ट्रीय अपमान आसानी से भूलते नहीं और 1991 के बाद नाटो के पूर्व में प्रसार को रोकने का जो आश्वासन अमेरिका द्वारा दिया गया था। उसके उल्लंघन होने के कारण पुतिन ने इस प्रकार की प्रतिक्रिया दी है। यद्यपि युद्ध को न्याय संगत नहीं ठहराया जा सकता तथा दोनों पक्षों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आपसी वार्ता के आधार पर विवाद का समाधान करना चाहिए।
समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डा.जगदीश चन्द्र आर्य ने कहा कि लगभग बीस हजार भारतीय छात्र-छात्राओं के यूक्रेन में फंसे होने के कारण भारत के राष्ट्रीय हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है तथा भारत सरकार को उनकी यूक्रेन से सुरक्षित निकासी की प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त आर्थिक प्रतिबन्धों का रुसी समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जोकि रुस को अधिक से अधिक अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में अलग थलग कर सकता है।
वैभव बत्रा और दिव्यांश शर्मा ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय विवाद का समाधान युद्ध के बजाए बातचीत की प्रक्रिया से निकाला जाना चाहिए एवं यही अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति को बनाये रखने का मूलभूत सिद्धान्त है।
विचार गोष्ठी में मुख्य रुप से डा.मनमोहन गुप्ता, डा.सुषमा नयाल, डा.अमिता श्रीवास्तव, श्रीमती रिंकल गोयल, डा.सरोज शर्मा, डा.आशा शर्मा, डा.विनीता चैहान, डा.मोना शर्मा, डा.रेनू सिंह, अन्तिमा त्यागी, मोहन चन्द्र पाण्डेय सहित शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।

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