संत समाज ने दी ब्रह्मलीन महंत रामरतन दास फौजी बाबा को श्रद्धांजलि

Haridwar News
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तनवीर


महान संत थे ब्रह्मलीन महंत रामरतन दास फौजी बाबा-बाबा हठयोगी
हरिद्वार, 1 दिसम्बर। माता वैष्णो देवी शक्ति पीठ आश्रम में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुषों के सानिध्य में ब्रह्मलीन महंत रामरतन दास फौजी बाबा महाराज की पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर संत समाज ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए दिव्य महापुरुष बताया। श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाबा बलराम दास हठयोगी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत रामरतन दास महाराज एक महान संत थे।

जिन्होंने वैष्णव परंपरंाओं का निर्वहन करते हुए संपूर्ण भारत में धर्म एवं संस्कृति की पताका को फहराया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्हीं के आदर्शों पर चलकर उनके कृपा पात्र शिष्य महंत दुर्गादास महाराज समाज सेवा में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं और धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। स्वामी ऋषिश्वरानंद एवं श्रीमहंत विष्णु दास महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन सदैव परमार्थ के लिए समर्पित रहता है।

ब्रह्मलीन महंत रामरतन दास महाराज ने समाज से जात पात ऊंच नीच का भेदभाव मिटाकर सभी वर्गों के लिए समान रूप से कार्य किया। उनका संपूर्ण जीवन काल मानव सेवा को समर्पित रहा। गंगा तट से उन्होंने अनेकों सेवा के कार्यों को संचालित कर गरीब असहाय लोगों की सहायता की। उनका आदर्श पूर्ण जीवन सभी को स्मरण रहेगा। युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री एवं महंत प्रह्लाद दास महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल एक समाज ही नहीं अपितु संपूर्ण मानवता को धर्म का संदेश देकर समाज में एकता व भाईचारे की अलख जगाते हैं।

ब्रह्मलीन महंत रामरतन दास महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिनका आदर्श पूर्ण जीवन आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रसांगिक है। सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित रहना चाहिए। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का स्वागत करते हुए श्री वैष्णो देवी शक्ति पीठ आश्रम के परमाध्यक्ष महंत दुर्गादास महाराज ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत करते हुए कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है

पूज्य गुरुदेव के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए संतों की सेवा करना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है। गौ गंगा का संरक्षण संवर्धन संत समाज प्रारंभ से ही करता रहा है। सभी को मिलजुल कर एक आदर्श समाज को स्थापित करना होगा। यही संतों के जीवन का मुख्य सार है।

इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद, महंत प्रेमदास, महंत रघुबीर दास, महंत गोविंद दास, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद, महामंडलेश्वर ईश्वरदास महाराज, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण, महंत शिवानंद, महंत मालाधारी, महंत पटवारी दास, स्वामी दिव्यांश वेदांती, महंत सूरज दास, स्वामी केशवानंद, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, स्वामी दिनेश दास, महंत खेम सिंह, महंत प्रमोद दास सहित बड़ी संख्या में संत महंत उपस्थित रहे।

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