सनातन धर्म भारत की पहचान है और कोई भी ताकत इसे मिटा नहीं सकती -जगतगुरू स्वामी अयोध्याचार्य

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राकेश वालिया


हरिद्वार, 7 अक्तूबर। श्रवणनाथ नगर स्थित श्री गुरू सेवक निवास उछाली आश्रम में जगतगुरू स्वामी अयोध्याचार्य महाराज की अध्यक्षता में तथा आश्रम के श्रीमहंत विष्णुदास महाराज के संयोजन में आयोजित संत समागम में सभी तेरह अखाड़ों के संतों ने सनातन धर्म पर किए जा रहे कुठाराघात के खिलाफ एकजुट होकर धर्म विरोधी ताकतों से संधर्ष करने का ऐलान किया। स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि सनातन धर्म भारत की पहचान है और कोई भी ताकत इसे मिटा नहीं सकती। आदि अनादि काल से सनातन धर्म ने पूरी दुनिया को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ सत्य और अहिंसा का संदेश दिया।

लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए कुछ लोग सनातन धर्म की मनमानी व्याख्या कर समाज को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। जिसे सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ पूरे देश का संत समाज एकजुट होकर संघर्ष करेगा। श्रीमहंत विष्णुदास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने के साथ देश को सांस्कृतिक रूप से एकजुट करने में संत समाज ने हमेशा ही अहम भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए संत समाज को बड़ी भूमिका निभाते हुए हिंदू समाज को एकजुट कर सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए आगे आना होगा।

स्वामी हरिचेतनानंद महाराज एवं बाबा हठयोगी ने कहा कि संत महापुरूषों ने हमेशा ही समाज को अध्यात्म की शिक्षा देने के साथ कल्याण की राह दिखायी। आज विश्व पटल पर भारत का जो स्वरूप प्रदर्शित हो रहा है। सनातन धर्म संस्कृति की अनूठी परंपरांओं से पूरे विश्व के लोग प्रभावित हो रहे हैं। महंत प्रेमदास, महंत प्रेमदास, स्वामी रवि देव शास्त्री, महंत गोविंददास ने कहा कि संत समाज सनातन धर्म को मिटाने की बात करने वालों के मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देगा। सभी तेरह अखाड़ों के नेतृत्व में पूरे देश का संत समाज एकजुट होकर सनातन धर्म पर कुठाराघात करने वालों को मूंहतोड़ जवाब देगा।

इस अवसर पर महंत प्रह्लाद दास, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी हरिहरानंद, महंत सूरजदास, महंत बिहारी शरण, महंत मोहन सिंह, महंत गंगादास उदासीन, महंत जसविन्दर सिंह, महंत हरिदास, महंत तीरथ सिंह, स्वामी ज्ञानानन्द, स्वामी अंकित शरण, महंत राघवेंद्र दास, महंत राजेंद्रदास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।

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