तनवीर
हरिद्वार, 30 अक्टूबर। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोज द्विवेदी ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव की विसात विछने लगी है विपक्ष द्वारा आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है शह मात का खेल सत्ता पक्ष में भी जारी है सूबे के पिछड़ेपन के लिए शोर मचाने वाले और आरोपो को नकारने वाले वालों के अपने-अपने तर्क हैं।
प्रदेश की जनता आपसे जबाव मांगती है कि उत्तराखंड को बीमारू राज्य बनाने में दोनों दलों की समान भागीदारी नहीं है क्या। प्रदेश में अकूत वन सम्पदा, बेहिसाब जल स्रोत, अपार जडी बूटियों की प्राकृतिक सौगात, आध्यात्मिक पर्यटन स्थल, आस्था के केंद्र चार धाम यात्रा, कावड यात्रा, गंगा स्नान, जंगल सफारी, आइस स्केटिंग केन्द्र, फूलों की घाटी जैसे अनेक पर्यटन स्थलों से होने वाली आय, केन्द्र से कुम्भ अर्ध कुम्भ के नाम पर मिलने वाला फण्ड, हरिद्वार, सेलाकुई, रुद्रपुर, सितारगंज, कोटद्वार जैसे औद्योगिक क्षेत्र होने के बाबजूद भी आखिर क्यों राज्य आर्थिक रूप से बदहाल है।।
गठन के बीस वर्ष बाद भी दोनों ही दल प्रदेश को स्थाई राजधानी तक नहीं दे पाए है। राज्य में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम नहीं है। स्वास्थ्य व्यवस्था खुद बीमार है। बिजली विभाग मोमबत्ती के सहारे है। नल खुद प्यासे हैं। रोजगार केन्द्र पर कर्मचारी नही है। रोडवेज कर्मचारियों को सैलेरी नहीं मिल रही है। ठेकेदार की पेमेन्ट तब तक नहीं होती जब तक कमीशन न दे। अन्धेर नगरी चैपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है प्रदेश में।
दोनों पार्टियों की सरकारें केंन्द्र में रही। दोनों दल आधे आधे समय राज्य में सत्तासीन रहे। फिर राज्य को रसातल में किसने पहुँचाया। कौन जिम्मेदार है इसके लिए। क्या कारण रहे कि आज तक कोई दूसरा सिडकुल नहीं स्थापित हुआ। क्या कारण रहा आजादी के बाद दूसरी नहर नहीं बनी आपके प्रदेश में क्या कारण रहे राज्य कंगाल हो गया और राज करने वाले मालामाल। आखिर कैसे फटेहाल नेता मालामाल हो गये और प्रदेश को फटेहाल कर दिया।