अमरीश
त्याग और तपस्या के प्रतीक हैं महंत धर्मराज भारती-श्रीमहंत रविंद्रपुरी
हरिद्वार, 7 मार्च। धर्मराज भारती उर्फ मौनी बाबा को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महंत पद पर सुशोभित किया गया है। निरंजनी अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज और सभी पंचों ने उनके त्याग और तपस्या को देखते हुए उन्हें महंत पद पर सुशोभित किया है। महंत पद पर आसीन होने के बाद वे महंत धर्मराज भारती के नाम से ही पुकारे जाएंगे।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज, अखाड़े के सचिव व मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज एवं पंच परमेश्वर की उपस्थिति में महंत धर्मराज भारती के महंत पद की घोषणा की गई। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि त्याग और तपस्या से ही परमात्मा के दर्शन होते हैं। संत हमेशा त्याग और तपस्या कर भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि हमारे हजारों साधु तपस्या करते हैं।
उत्तराखंड और हिमाचल सहित तमाम जगहों पर जंगलों व अलग-अलग स्थानों पर तपस्या कर रहे हैं। उन्हीं में से धर्मराज भारती हैं। धर्मराज भारती उर्फ मौनी बाबा ने 2010 तक 12 वर्ष तक मौन रखा। बर्फ की चादर ढ़के होने के बाद बीच उन्होंने 12 सालों तक कड़ी तपस्या की। उनके त्याग और तपस्या को देखकर ही पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने उन्हें महंत पद पर सुशोभित करने का निर्णय लिया। अब उन्हें महंत धर्मराज भारती के नाम से ही पुकारा जायेगा।
श्रीमहंत रामरतन गिरि महाराज ने कहा कि त्याग और तपस्या का फल एक दिन जरुर मिलता है। साधु-संतों का जीवन हमेशा त्याग और तपस्या के लिए ही समर्पित रहता है। इस अवसर पर श्रीमहंत ओमकार गिरि, श्रीमहंत दिनेश गिरि, श्रीमहंत हरगोविंद पुरी, श्रीमहंत केशवपुरी, श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत राधेगिरि, श्रीमहंत नरेश गिरि आदि उपस्थित रहे।