योग और प्राणायाम से भागेगा कोरोना वायरस-बाबा रामदेव

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राकेश वालिया

ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे-आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार, 17 मार्च। धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में श्री गुरू मण्डल आश्रम की गौरवशाली परम्परा रही है। आश्रम में नवनिर्मित लोकसंस्कृति भवन को अपने गुरू ब्रह्मलीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज को समर्पित कर गुरू के प्रति जो कृतज्ञता महामण्डलेश्वर स्वामी भगवतरूवरूप महाराज ने व्यक्त की है। वह गुरू शिष्य परम्परा का अनुपम उदाहरण है। उक्त उद्गार योग गुरू बाबा रामदेव महाराज ने ब्रह्मलीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज के षष्ठम निर्वाण महोत्सव तथा आश्रम में निर्मित गुरूदेव लोक संस्कृति भवन के लोकापर्ण अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने घोषणा की कि पंतजलि योगपीठ के तत्वावधान में भवन में जल्द ही योग शिविर का आयोजन किया जाएगा।

समारोह को संबोधित करते हुए बाबा रामदेव ने लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतने तथा योग व प्राणायाम करने की सलाह दी। योग, प्राणायाम, ध्यान और आयुर्वेद कोरोना से बचाव में कारगर है। उन्होंने कहा कि मानवीय गलतियों के चलते प्रकृति के क्षरण के कारण वातावरण में तमाम तरह के संक्रमण फैल रहे हैं। संक्रमण को रोकने के लिए आध्यात्मिक संस्कृति का विकास और प्रकृति का संरक्षण ही एक मात्र उपाय है। उन्होंने कहा कि जब संत उनसे पूछते हैं कि आप किस अखाड़े हैं तो मैं कहता है कि मै श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन से हूं।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आश्रय व आलम्बन प्रदान करने वाले अपने गुरू ब्रह्मलीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज के प्रति स्वामी भगवतस्वरूप महाराज की आस्था व विश्वास अनुकरणीय है। लोकसंस्कृति भवन को अपने गुरूदेव को समर्पित कर उन्होंने गुरू की महानता को प्रतिष्ठित किया है। महंत देवेंद्रदास महाराज ने कहा कि गुरू मण्डल आश्रम संत महापुरूषों की तपोभूमि है। सेवा की साक्षात प्रतिमूर्ति ब्रह्मलीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है। म.म.स्वामी भगवतस्वरूप महाराज द्वारा अपने गुरू की स्मृति में निर्मित कराया गया लोकसंस्कृति भवन कुंभ मेले में बेहद लाभदायक सिद्ध होगा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए काष्र्णि पीठाधीश्वर स्वामी गुरूशरणानंद महाराज ने कहा कि साधुता के श्रेष्ठ प्रतीक म.म.स्वामी भगवतस्वरूप ने अध्यात्मिक रूप से उन्नत गुरू मण्डल आश्रम गुरू शिष्य परंपरा को सुदृढ़ किया है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। देश विदेश में भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि गुरू के प्रति म.म.स्वामी भगवतस्वरूप का स्नेह व श्रद्धा भाव सभी के लिए प्रेरणादायक है। अयोध्या से आए डा.भरतदास महाराज ने कहा कि स्वामी भगवतस्वरूप ने गुरू स्मृति का पालन करते हुए भारतीय परम्पराओं को मजबूत किया है। महंत रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि संपूर्ण जीवन धर्म संस्कृति को समर्पित करने वाले ब्रह्मलीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज संत समाज के आदर्श हैं। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव सेवा के प्रति योगदान करना चाहिए। स्वामी शिवानंद ने कहा कि स्वामी भगवतस्वरूप महाराज की गुरू के प्रति प्रकट की गयी अगाध श्रद्धा सभी को प्रेरणा देगी। म.म.परमात्मदेव महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन म.म. स्वामी रामस्वरूप महाराज महान संत थे। म.म.स्वामी जगदीशदास महाराज ने कहा कि गुरू के प्रति श्रद्धा कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। म.म.स्वामी आनन्द चैतन्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज अनूठे संत थे। उन्होंने कहा कि म.म.स्वामी भगवतस्वरूप अपने गुरू का ही प्रतिबिम्ब हैं। स्वामी विवेकानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज सहज सरल संत थे।

आचार्य विष्णुदत्त राकेश ने कहा कि गुरू को समर्पित लोकसंस्कृति भवन म.म.स्वामी भगवतस्वरूप महाराज का गुरू के प्रति समर्पण का अनूठा उदाहरण है। अद्धैत मुनि महाराज ने कहा कि ब्रह्म्लीन म.म.स्वामी रामस्वरूप महाराज का जीवन सेवा का अनुपम उदाहरण है। म.म.स्वामी भगवतस्वरूप अपने गुरू की परंपरांओं को आगे बढ़ा रहे हैं। म.म.स्वामी प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज ने सदैव समाज का मार्गदर्शन किया। महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि देश व समाज की सेवा को जीवन समर्पित करने वाले अपने गुरू ब्रह्मलीन स्वामी रामस्वरूप महाराज की परंपरा को स्वामी भगवतस्वरूप महाराज आगे बढ़ा रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन म.म.स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने किया। स्वामी भगवतस्वरूप ने सभी का आभार व्यक्त किया।

संतों ने विधायक आदेश चैहान, कुंभ मेला अधिकारी, दीपक रावत व अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह को फूलमालाएं पहनाकर व शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया। महंत कमलदास, स्वामी सर्वज्ञ मुनि, स्वामी केशवानंद, महंत निर्मलदास, महंत दामोदर दास, महंत राघवेंद्रदास, महंत ललितानंद गिरी, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, महंत जयेंद्र मुनि, महंत गोविंददास, महंत जगदीशदास, महंत आनन्द भास्कर, महंत प्रकाश मुनि आदि सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष व श्रद्धालु मौजूद रहे। 


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