2022 के चुनावों में मांस व शराब के अवैध कारोबार को मुद्दा बनाया जाएगा-चरणजीत पाहवा

Haridwar News
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अमरीश

हरिद्वार, 1 नवंबर। हिंदूवादी नेता चरणजीत पाहवा ने आरोप लगाया है कि उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से ही सरकार धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। धर्मनगरी हरिद्वार विश्व का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। सावन के महीने में करोड़ों शिवभक्त हर साल गंगा तट पर आते हैं। ज्वालापुर हरिद्वार का ही एक हिस्सा है। लेकिन सरकारें ज्वालापुर की शुरू से ही अपेक्षा करती चली आ रही हैं।

उत्तराखंड की स्थापना से पहले सरकारी शराब का ठेका हर की पौड़ी से 22 किलोमीटर दूर बहादराबाद में हुआ करता था। 20 साल पहले ज्वालापुर में मांस की मात्र 12 थी। जब जब हिंदुवादी सरकार सत्ता में आती है तो मांस की दुकानों की संख्या बढ़ जाती है। आज की तारीख में सैकड़ों मांस की दुकानें घनी आबादी क्षेत्रों में खुली हुई हैं। हर गली मोहल्ले में अवैध शराब का कारोबार चल रहा है। जो शराब का ठेका पहले 22 किलोमीटर दूर हुआ करता था आज हिंदुत्व की सरकार ने उसे हरकी पैड़ी से मात्र 7 किलोमीटर दूर ज्वालापुर में स्थापित कर दिया है। जिससे नशा करने वालों की संख्या बढ़ गई है।

गरीब परिवारों के घरों में शराब को लेकर बड़े-बड़े क्लेश होते हैं, आत्महत्या तक कर ली जाती है। गली गली खुली मास की दुकानों से 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी भी बहुत परेशान है। पीठ बाजार, बकरा मार्केट की नालियां खून से भरकर सीधे मां गंगा में जाती हैं। जिससे नमामि गंगे जैसी योजनाएं भी निरर्थक साबित हो रही हैं। पाहवा ने कहा कि 2010 में उन्होंने अवैधा रूप से चल रही मांस की दुकानों के विरोध में 15 दिन भूख हड़ताल की तो जिला प्रशासन ने एक प्रस्ताव पास किया था मांस की दुकानों कसे सराय में शिफ्ट किया जाएगा। लेकिन आज भी सभी दुकानें शहरी क्षेत्र में ही चल रही हैं।

विधायकों के दबाव में किसी भी दुकान को शिफ्ट नहीं किया गया। अवैध रूप से चल रही मांस की दुकानों के खिलाफ उनके संघर्ष के बावजूद दुकानों की संख्या बढ़ रही है। पाहवा ने कहा कि मांस की दुकानों को हर की पौड़ी से 10 किलोमीटर दूर नगर निगम क्षेत्र से बाहर शिफ्ट किया जाए। हाईकोर्ट के स्लाटर हाऊस बनाए जाने के आदेशों की भी अवेहलना की जा रही है। खुलेआम पशु काटे जा रहे हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। इस मामले में भाजपा से जुड़े हिंदू संगठन भी चुप्पी साधे हुए हैं।

राजनीति करने में आगे रहने वाला संत समाज भी आंखें बंद किए हैं। कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। मांस की दुकानों के विरोध में उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया। इस पर भी सरकार की आंखे नहीं खुली। पाहवा ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द से जल्द नगर निगम क्षेत्र से मांस की दुकानों को बाहर नहीं किया गया तो किया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा और 2022 के चुनाव में मांस और अवैध शराब की बिक्री को मुद्दा बनाया जाएगा।

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