गौरव रसिक
कुंभ निधि से कांगड़ी क्षेत्र में डलवायी जाए सीवर लाईन-महंत मनोहर पुरी
हरिद्वार, 8 नवंबर। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत देवेंद्र पुरी महाराज ने कहा कि मां भगवती व गंगा मैय्या की कृपा से कोरोना शीघ्र समाप्त होगा और कुंभ मेला भव्य रूप से सकुशल संपन्न होगा। श्यामपुर कांगड़ी स्थित आनन्द भैरव धाम आश्रम में आयोजित मां भगवती जागरण के अवसर पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत देवेंद्रपुरी महाराज ने कहा कि मां भगवती का सिमरन करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।
परिवारों में सुख समृद्धि का वास होता है। मां भगवती का अनुष्ठान करने से अवश्य ही राष्ट्र कल्याण होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के चलते भारत सहित पूरी दुनिया संकट में हैं। वायरस की चपेट मे आने से जनजीवन पर भारी असर हुआ है। दुनिया को कोरोना से मुक्ति मिले तथा फिर से खुशहाली कायम हो इसी भावना के साथ संत महापुरूषों के सानिध्य में आश्रम में मां भगवती का जागरण कर उनकी आराधाना की गयी।
आश्रम के परमाध्यक्ष तथा जूना अखाड़े के थानापति महंत मनोहरपुरी महाराज ने श्रद्धालुओं को आशीवर्चन प्रदान करते हुए कहा कि कष्टों से मुक्ति पानी है तो सच्चे मन से मां भगवती की आराधना व गुणगान करें। उन्होंने कहा कि समय समय पर मां भगवती का अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए। मां भगवती प्रसन्न होकर भक्तों की सच्ची मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। मां भगवती का अनुष्ठान उत्तराखण्ड की खुशहाली के लिए विशेष महत्व रखते हैं। धार्मिक क्रियाकलापों में सम्मिलित होने वाले तन व मन दोनों का शुद्धिकरण होता है।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष कुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। शासन प्रशासन बड़े स्तर पर मेले की तैयारियां कर रहा है। कांगड़ी क्षेत्र में बड़ी संख्या में आश्रम स्थित हैं। लेकिन पूरे इलाके में सड़क, बिजली, पानी की समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सीवर लाईन ना होना सबसे बड़ी समस्या है। सरकार व मेला प्रशासन को इस पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए तथा कुंभ निधि से पूरे क्षेत्र में सीवर लाईन बिछानी चाहिए।
साथ ही आबादी में आने वाले जंगली जानवरों से सुरक्षा के प्रबंध भी करने चाहिए। इस दौरान श्रीमहंत महेश पुरी, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरी, महंत कमलदास, महंत प्रेमदास, कोठारी लाल भारती, महंत महादेवानन्द गिरी, स्वामी आलोक गिरी, महंत विवेक गिरी, शनि भक्त मोतीराम, तनुज आदि सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष मौजूद रहे।