स्मृति दिवस पर संतों ने दी ब्रह्मलीन स्वामी शालीग्राम आश्रम महाराज को श्रद्धांजलि

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देश को सांस्कृतिक रूप से एकजुट करने में संत महापुरूषों की अहम भूमिका
-श्रीमहंत रविंद्रपुरी
गुरू की सेवा परंपरा को आगे बढ़ाना ही जीवन का उद्देश्य-सतपाल ब्रह्मचारी

हरिद्वार, 6 मई। ब्रह्मलीन स्वामी शालीग्राम आश्रम महाराज का 32वां स्मृति दिवस समारोह भूपतवाला स्थित श्री थानाराम आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी के संयोजन और सभी तेरह अखाड़ों के संतों के सानिध्य में मनाया गया। इस दौरान संत समाज ने ब्रह्मलीन स्वामी शालीग्राम आश्रम महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। समारोह को संबोधित करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म व अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने के साथ देश को सांस्कृतिक रूप से एकजुट करने में संत महापुरूषों ने हमेशा अहम भूमिका निभाई है। ब्रह्मलीन स्वामी शालीग्राम आश्रम महाराज संत समाज की दिव्य विभूति थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका अविस्मरणीय योगदान रहा है।

सतपाल ब्रह्मचारी अपने गुरू के बताए मार्ग पर चलते जिस प्रकार उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ा रहे हैं। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। समारोह में शामिल हुए संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ब्रह्मलीन स्वामी शालीग्राम आश्रम महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ है। संत समाज के सहयोग से पूज्य गुरूदेव द्वारा स्थापित सेवा परंपरा को आगे बढ़ाते मानव कल्याण में योगदान करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है।

निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज व भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्वर स्वामी ललितांनद गिरी महाराज ने कहा कि त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति ब्रह्मलीन स्वामी शालीग्राम आश्रम महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में योगदान करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। जगतगुरू स्वामी अयोध्याचार्य महाराज एवं स्वामी आदियोगी महाराज ने कहा कि योग्य शिष्य ही गुरू की कीर्ति को बढ़ाते हैं।

सतपाल ब्रह्मचारी अपने गुरूदेव ब्रह्मलीन स्वामी शालीग्राम आश्रम महाराज से प्राप्त ज्ञान और संत परंपरांओं का पालन करते हुए जिस प्रकार समाज का मार्गदर्शन करने साथ धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में योगदान कर रहे हैं। उससे युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए। स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी ऋषिश्वरानंद एवं महंत शुभम गिरी ने सभी संत महापुरूषों का स्वागत किया। इस अवसर पर जगतगुरू स्वामी अयोध्याचार्य महाराज, महंत जसविन्दर सिंह, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी शिवानंद भारती, स्वामी अनंतानंद, स्वामी प्रबोधानंद गिरी, महंत गोविंददास, स्वामी हरिचेतनानंद, बाबा बलराम दास हठयोगी, महंत प्रेमदास, महंत सूरज दास, महंत रघुवीर दास, महंत विष्णुदास, स्वामी कृष्णदेव, महंत देवेंद्र तोमर, महंत संजय गिरी, महंत बिहारी शरण, महंत दुर्गादास, महंत गंगादास, स्वामी कपिल मुनि, महंत दिनेश दास, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी हरिवलल्भदास शास्त्री, विजय सारस्वत, राजेश रस्तोगी, पार्षद महावीर वशिष्ठ, थानेश्वर, महेश्वरी परिवार, आश्रम के ट्रस्टियों सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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