श्रीकृष्ण की लीलाओं के पीछे छिपा है गूढ़ रहस्य-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश

हरिद्वार, 9 फरवरी। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में मारुति वाटिका जगजीतपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के पीछे कोई गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है। इस बात को समझना चाहिए कि भगवान ने माखन चोरी एवं चीर चोरी क्यों की। शास्त्री ने बताया बृजवासी मथुरा जाकर सारा दूध, दही और मक्खन बेच आते थे। जिससे बृजवासी बालकों को दूध, दही, मक्खन नहीं मिल पाने से वे कमजोर हो रहे थे। जबकि मथुरा में कंस एवं कंस के साथी राक्षस दूध, दही, मक्खन खाकर पहलवान हो रहे थे।

भगवान श्रीकृष्ण चाहते थे कि बृजवासी बालकों का बल बढ़े। जिससे वे कंस का राक्षसों का मुकाबला कर सके। इसके लिए श्रीकृष्ण ने योजना बनाई कि गोपिकाओ के घरों में जाकर बृजवासी बालकों को दूध दही माखन खिलाया जाए। जिससे बालकों का बल बढ़ा और एक-एक कर अघासुर, बकासुर, कंस जैसे अनेक राक्षसों का संहार किया। शास्त्री ने बताया कि इसी प्रकार भगवान की गोपियों के संग चीरहरण लीला के पीछे प्रयोजन यह था कि जब गोपिकाएं जमुना में स्नान करती थी तो कंस के राक्षस उन्हें छिप कर देखते थे और पकड़ कर उनके साथ अभद्र व्यवहार करते थे।
चीरहरण लीला के माध्यम से कन्हैया ने सभी को शिक्षा दी कि स्नान करते समय, दान देते समय, सोते समय, चलते फिरते समय बिना वस्त्रों के नहीं रहना चाहिए। शास्त्री ने बताया कि कृष्ण ने जिस समय गोपियों के संग चीर हरण लीला की। उस समय पर कृष्ण की अवस्था मात्र 6 वर्ष थी। 6 वर्ष का बालक किसी के वस्त्र चुरा कर क्या करेगा। बाल लीलाओं का श्रवण कराने के साथ कथाव्यास ने गोवर्धन महोत्सव की कथा का भी श्रवण कराया और सभी भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पण किए। इस अवसर पर मुख्य जजमान पुष्पा चौहान, बृजपाल सिंह चौहान, इंदु चौहान, संजय चौहान, अनिमेष चौहान, रोहन चौहान, रेखा शर्मा, आरएस सूत, नूर सूत, सौरभ, डा.विनय कुमार गुप्ता, मंजू चौहान, पवन चौहान, ममता चौहान, राज चौहान, रिया चौहान, राजीव चौहान, अर्पित चौहान, हर्षित चैहान, ध्रुव चौहान, रेवांश चैहान, कुनाल चौहान, शालिनी ठाकुर, रेखा शर्मा, कल्पना, नूतन शर्मा, अलका, मंजू, स्वाति आदि ने भागवत पूजन किया और कथाव्यास से आशीर्वाद लिया।

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