माता पिता की सेवा से प्रथम पूजा के अधिकारी बने गणेश-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

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अमरीश


हरिद्वार, 18 फरवरी। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में कनखल स्थित श्री दरिद्र भंजन महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चैथे दिन की कथा का श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि माता-पिता की सेवा करने से गणेश प्रथम पूजा के अधिकारी बने। शास्त्री ने बताया कि देवी देवता यह निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि प्रथम पूजा का अधिकारी कौन बने। तब भगवान नारायण ने कहा कि जो सर्वप्रथम पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा। वही प्रथम पूजा का अधिकारी होगा। सभी देवी देवता अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए चल पड़े। गणेश ने देखा कि मेरा वाहन तो चूहा है, तो मै पीछे ही रह जाऊंगा।

गणेश ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए अपने माता-पिता शिव एवं पार्वती को एक आसन पर बिठाया और उनकी परिक्रमा कर माता-पिता का पूजन किया। गणेश ने कहा माता पृथ्वी एवं पिता आकाश का स्वरूप माना जाता है। मैंने माता-पिता का पूजन कर लिया समझ लो पूरी पृथ्वी का पूजन कर लिया। गणेश की इस बुद्धिमत्ता को देखकर के सभी देवी देवताओं ने निर्णय किया कि आज से गणेश ही प्रथम पूजा के अधिकारी होंगे। जब तक गणेश पूजन नहीं किया जायेगा तब तक देवी देवता कोई भी पूजा स्वीकार नहीं करेंगे। शास्त्री ने बताया कि माता-पिता की सेवा एवं पूजा करने से जगत में मान, सम्मान, प्रतिष्ठा, धन दौलत सब कुछ प्राप्त हो जाता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने माता-पिता की सेवा एवं पूजा अवश्य करनी चाहिए।

इस अवसर पर मुख्य जजमान चंद्र प्रकाश गुप्ता, राजेश गुप्ता, शैलेश गुप्ता, दिनेश गुप्ता, डीके गुप्ता, मुकेश गुप्ता, अमन गुप्ता, पूजा गुप्ता, प्रियांशु गुप्ता, रुद्र गुप्ता, खुशी गुप्ता, कृष्ण कुमार शर्मा, नीरज कुमार शर्मा, रिचा शर्मा, सीमा गुप्ता, कुसुम गुप्ता, कुणाल गुप्ता आदि ने भागवत पूजन किया।

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