देश को धार्मिक रूप से एकजुट करना ही संत समाज का उद्देश्य-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

Haridwar News
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राकेश वालिया


पूरी दुनिया को आध्यात्मिकता से आलोकित करेगा राममंदिर-महंत मधुसूदन दास
हरिद्वार, 9 दिसम्बर। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करते हुए सदैव परमार्थ के लिए प्रयासरत रहने वाले संत महापुरूषों के सानिध्य में ही भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है।

भूपतवाला स्थित नकलंक धाम में गुजरात के गांधीनगर से आए महामंडलेश्वर महंत मधुसूदन दास महाराज के संयोजन में आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि समाज को धर्म व अध्यात्म की प्रेरणा देकर देश को धार्मिक व सांस्कृतिक रूप से एकजुट करना ही संत समाज का उद्देश्य है। उन्होंने सभी से राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा को पर्व के रूप में मनाने का आह्वान करते हुए कहा कि पांच सौ वर्षो के संघर्ष और अनेक बलिदानों के बाद हिंदू समाज के लिए यह गौरवशाली अवसर आया है। इसलिए 22 जनवरी को अपने घरों में दीपों का प्रकाश कर दीपावली मनाएं और रामभजन करते हुए इस गौरवशाली अवसर में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।

महामंडलेश्वर महंत मधुसूदन दास महाराज ने सभी संतों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर देश को आध्यात्मिक रूप से एकजुट करने में संत समाज ने हमेशा अहम भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि संत समाज के नेतृत्व में हिंदू समाज के अटूट संघर्ष के बाद अयोध्या में निर्मित हुआ भव्य राममंदिर पूरी दुनिया को आध्यात्मिक रूप से आलोकित करेगा।

संत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए श्री रामानंदीय वैष्णव मंडल के अध्यक्ष महंत नारायण दास पटवारी ने कहा कि धर्म व सेवा की प्रतिमूर्ति महामंडलेश्वर महंत मधुसूदन दास महाराज द्वारा धर्म प्रचार के साथ शिक्षा व चिकित्सा क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान किया जा रहा है। सभी को उनसे प्रेरणा लेकर मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। महंत विष्णु दास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरजदास, महंत बिहारी शरण व अनिल भाई ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।

इस अवसर पर महंत प्रेमदास, महंत प्रमोद दास, महंत ईश्वर दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत दुर्गादास, महंत श्यामचरण दास, महंत विमलदास बापू, महंत राघवेंद्र दास, महंत निर्भय सिंह, महंत गोविंददास, महंत जगदीश दास आदि सहित बड़ी संख्या में संत महंत व श्रद्धालु मौजूद रहे।

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