तनवीर
हरिद्वार, 3 दिसम्बर। आईआईटी रूड़की के 1983 बैच के 81 स्नातकों के दल ने रविवार को पतंजलि योगपीठ पहुंचकर पतंजलि हर्बल गार्डन सहित विभिन्न सेवा प्रकल्पों का भ्रमण किया और आचार्य बालकृष्ण महाराज से भेंटकर विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने सभी पतंजलि द्वारा संचालित सेवा कार्यो में सहभागी बनने का आह्वान करते हुए कहा कि वेदों में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास चार आश्रम बताए गए हैं।
प्राचीनकाल में लोग निःस्वार्थ भाव से गुरुकुलों में नन्हें बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से वानप्रस्थ जाते थे। क्योंकि सामान्य शिक्षक सैद्धांतिक ज्ञान तो दे सकता है। किंतु व्यवहारिक ज्ञान एक अनुभवी व्यक्ति ही दे सकता है। पढ़ाई मात्र शब्द ज्ञान है, वस्तु ज्ञान तो आप लोगों ने प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े इंजीनियर जो कार्य नहीं कर सकते वह एक ग्रामीण मिस्त्री कर देता है, अब यह देखने वाले की दृष्टि पर निर्भर करता है कि वह उसे अनपढ़ कहेंगे या कुशल कारीगर।
यात्रा के समन्वयक सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता एवं अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य केंद्र आई.ई.आई. देहरादून इंजीनियर एन.के. यादव रहे। उन्होंने विविध क्षेत्रों में पतंजलि द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। इस अवसर पर इंजीनियर एन.के. यादव के साथ यूएसए से डा.विवेक वर्मा, ऑस्ट्रेलिया से इंजीनियर विपिन गैंधार, संयुक्त राज्य अमेरिका से इंजीनियर हिमांशु, कनाडा से इंजीनियर राजेश वत्स, आईआईटीआर से प्रोफेसर सतीश चंद्र, प्रोफेसर एस.के. सिंघल, प्रोफेसर एम.के. सिंघल, दिल्ली से इंजीनियर आनंद प्रकाश प्रमुख रूप से शामिल रहे।