संत महापुरूषों के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान से होता है कल्याण का मार्ग प्रशस्त-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

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राकेश वालिया


हरिद्वार, 1 अगस्त। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में प्राप्त ज्ञान से ही व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। सप्तसरोवर स्थित श्री गुरू कृपा कुटीर में विश्व शांति के लिए एकादश कुंडीय होमात्मक महाविष्णु महायज्ञ के समाान पर आयोजित संत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में आयोजित धार्मिक अनुष्ठान हमेशा ही पुण्यदायी होते हैं। महायज्ञ के माध्यम से अवश्य ही विश्व शांति का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि यज्ञ की पवित्र अग्नि से उठने वाला धुंआ जहां जहां आवरण बनाता है। वहां नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मक वातावरण बनता है।

उन्होंने कहा कि महायज्ञ के आयोजन के लिए संत रमादेवी माता बधाई की पात्र हैं। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में संत महापुरूषों ने हमेशा अहम योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि संत रमादेवी माता विद्वान संत हैं। सनातन धर्म के संरक्षण संवर्द्धन और मानव सेवा में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। युवा संतों को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। संत रमादेवी माता ने कार्यक्रम में उपस्थित संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महायज्ञ सनातन संस्कृति की विशेष पहचान है। प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि वातावरण में आयी नकारत्मकता को दूर करने के लिए यज्ञ आदि का आयोजन करते रहे हैं। धार्मिक क्रियाकलाप से ही सनातन धर्म संस्कृति की पहचान हैं।

गरीब असहाय निर्धन परिवारों के उत्थान में संत समाज निर्णायक भूमिका निभाता चला आ रहा है। संत महापुरूषों के सानिध्य से श्रद्धालु भक्तों के जीवन की विसंगतियां दूर होती हैं। उन्होंने कहा कि निस्वार्थ सेवा से ही समाज कल्याण में अपनी भूमिका निभायी जा सकती है। कार्यक्रम के दौरान संत महापुरूषों द्वारा श्री गुरू कृपा कुटीर की परमाध्यक्ष संत रमादेवी माता का फूलमाला पहनाकर व शाॅल ओढ़ाकर उन्हें सम्मानित किया गया। इस अवसर पर स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी हरिवल्लभ दास महाराज, स्वामी प्रबोधानंद, स्वामी गोविंददास, महंत जयेंद्र मुनि, स्वामी केशवानंद, संत बालराम दास, साध्वी भक्ति देवी, महंत सूरज दास, स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी शिवानंद भारती, स्वामी राजेंद्रानंद, महंत जसविंदर सिंह व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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