करूणा के सागर हैं भगवान शिव-स्वामी कैलाशानंद गिरी

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कमल खडका


हरिद्वार, 28 जुलाई। श्रावण मास के चौथे दिन नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में भगवान शिव का देश के विभिन्न प्रांतों से आए दुर्लभ प्रजाति के फूलों से विशेष श्रसंगार कर आरती की गई। इस दौरान निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रावण मास में की गई भगवान शिव की आराधना भक्तों को अमोघ फल प्रदान करती है। जो श्रद्धालु भक्त भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना कर जलाभिषेक करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं देवों के देव महादेव पूर्ण करते हैं। भगवान शिव करुणा के सागर हैं। जो श्रावण मास में अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं। क्योंकि श्रावण मास भगवान शिव की आराधना को समर्पित रहता है और स्वयं शिव को अत्यंत प्रिय है।

आचार्य स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा पर श्रावण के पवित्र मास में जो श्रद्धालु भक्त श्रद्धा पूर्वक भगवान की शरण में आ जाते हैं। उनके जन्म जन्मांतर के पापों का शमन हो जाता है और उनका जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। भगवान शिव सबका उद्धार करते हैं। महादेव की कृपा से श्रद्धालु भक्तों को जिंदगी के हर कदम पर सफलता प्राप्त होती है। श्रावण मास में श्रद्धा और आस्था के साथ जो भक्त भगवान शिव का पूजन करता है। भगवान शिव की उस पर विशेष कृपा होती है। भगवान शिव श्रद्धा भाव से जल अर्पण करने से ही प्रसन्न हो जाते है।ं भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में शिव आराधना से व्यक्ति को सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है। अपनी शरण में आए भक्तों पर भगवान शिव कोई कष्ट नहीं आने देते। श्रावण मास में भगवान शिव पृथ्वी पर रहकर सृष्टि का संचालन करते हैं। इसलिए श्रावण में श्रद्धा पूर्वक की गई आराधना से भगवान शिव की असीम कृपा श्रद्धालु भक्तों पर बरसती है।

स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति अपने इच्छित कार्यों को सफल बना सकता है। इसलिए सभी को निष्ठा के साथ भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए, क्योंकि जिस पर महादेव की कृपा हो जाए। उसका जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। इस दौरान आचार्य पवनदत्त मिश्र, लाल बाबा, पंडित प्रमोद पाण्डे, अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, कृष्णानंद ब्रह्मचारी, मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, समाजसेवी संजय जैन आदि उपस्थित रहे।
फोटो नं.5-पूजा अर्चना करते स्वामी कैलाशानंद गिरी

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