तनवीर
हरिद्वार, 12 मार्च। गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग द्वारा साहसिक खेलो के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण विषय पर संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता पदम्श्री एवरेस्ट विजेता संतोष यादव ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण से ही समाज की उन्नति संभव है। संस्कारित एवं सभ्य समाज के निर्माण के लिए महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता है। पदमश्री संतोष यादव ने कहा कि महिलाये समाज की धुरी है। समाज रूपी पहिया धुमाने के लिए महिला रूप धुरी जरूरी है।
श्रेष्ठ एवं सभ्य समाज की परिकल्पना का चिन्तन तभी पूर्ण होगा जब महिलाये स्वयं जीवन मे दृढ संकल्प शक्ति धारण करेगी। साहसिक खेल के साथ महिलाओं के जुडाव पर उन्होंने कहा कि साहस के निर्माण मे आचरण एवं संवेदना का होना बहुत जरूरी है। प्रकृति मे नारी को शक्ति स्वरूपा कहा गया है। नौकरी-पेशा महिलाओं को अपनी संन्तान के पोषण एवं परिवार की भावनाओं को महत्व देने की जरूरत है। तभी शिव-शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप का महत्व समाज मे प्रतिष्ठित हो सकता है। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव एवं महिला सशक्तिकरण वर्ष के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सोमदेव शतान्शु ने किया।
कुलपति प्रो.सोमदेव शतांशु ने कहा कि आर्य समाज ने सबसे पहले महिला को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाने की जरूरत महसूस की। महिलाओं के सशक्तिकरण मे शिक्षा का योगदान अभूतपूर्व है। गुरूकुल जैसी संस्था मे महिलाओं के सशक्तिकरण पर संवाद समय परिवर्तन के अनुसार एक प्रशंसनीय कार्य है। संकायाध्यक्ष प्रो.सुरेन्द्र कुमार ने संवाद से महिला सशक्तिकरण पर चर्चा को वर्तमान की जरूरत बताया। कार्यक्रम के मोडरेटर डा.शिवकुमार चैहान ने मुख्य वक्ता का संक्षिप्त परिचय देने के साथ महिला सशक्तिकरण से जुडे अनेक प्रश्न किये। डा.अजय मलिक ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संयोजन विश्वविद्यालय की आईआईसी सैल के प्रमुख प्रो.सत्येन्द्र राजपूत एवं उनकी टीम के माध्यम विश्वविद्यालय स्टूडियो मे सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम मे ऑन-लाईन माध्यम से भी अनेक शोधार्थी, शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।