सनातन धर्म संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है योग-स्वामी गर्व गिरी

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प्रमोद गिरि


हरिद्वार, 21 जून। बाबा वीरभद्र सेवाश्रम न्यास आश्रम कांगड़ी के परमाध्यक्ष एवं जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरि महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत ऋषि मुनियों का देश है। योग प्राचीन काल से ही सनातन धर्म संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग रहा है। योग शरीर को शुद्ध और पवित्र करने के साथ परमात्मा से मिलाने का काम भी करता है। उन्होंने कहा कि कुशलता पूर्वक किया जाने वाला कर्म ही योग है। जो कर्म श्रेष्ठता से किये जाते हैं। उसी कर्म को महापुरुषों ने पूज्यनीय बताया है। श्रेष्ठ कर्म ही परमपिता से योग अर्थात मिलाते हैं। योग के नियमित अभ्यास से बुद्धि शुद्ध होती है और संपूर्ण शरीर, आत्मा और जीवन का विकास होता है। शारीरिक योग शरीर को और आंतरिक योग आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। स्वामी गर्व गिरि महाराज ने कहा कि सभी लोगो को जीवन में योग को अपनाना चाहिए और नियमित रूप से योगाभ्यास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग के महत्व को समझा और परखा और योग पर कर्म किया। साथ ही लोगों को योग अपनाने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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